वैज्ञानिक उपन्‍यास

Scientific novel Guinea pig
वैज्ञानिक उपन्‍यास 'गिनीपिग' का सार संक्षेप
Summary of the scientific novel 'Guinea pig'
 
'गिनीपिग' जाकिर अली 'रजनीश' का एक वैज्ञानिक उपन्यास है, जो मानवीय संवेदनाओं और जैव रसायनों के बीच के सम्बंधों की पड़ताल करता है। उपन्यास की नायिका नलिनी एक शोधार्थी है। वह 'प्रेम और मनोविज्ञान के अन्तर्सम्बंध' को समझने के लिए अपने पिता की उम्र के बराबर जीजा प्रो0 प्रभाकर की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करती है। लेकिन उसे यह पता नहीं होता कि प्रेम वास्तव में एक जैव रसायनिक अभिक्रिया है, जो परिस्थितियों के अनुसार संचालित होती है और कब मानव मस्तिष्क में प्रारम्भ हो जाती है, ​इसका किसी को भी पता नहीं चलता। 
 
नलिनी के इस खेल में परिस्थितियां कुछ इस तरह से परिवर्तित होती हैं कि वह अनचाहे ही उसमें फंसती चली जाती है। और इस क्रम में मानवीय संवेदनाओं की अकुलाहट, मानसिक द्वन्द्वों का ज्वार-भाटा, स्त्री की व्यथा और उसका अनकहा दर्द सामने उभर आता है। प्रो0 प्रभाकर स्वयं भी परिस्थितियों के इस भूकम्प से भौंचक्के रह जाते हैं और स्वयं को वैज्ञानिकों के प्रयोगों के लिए बलि चढ़ने वाले जीव 'गिनीपिग' बनने से नहीं बचा पाते हैं। 
 
पठनीयता की कसौटी पर शत-प्रतिशत खरा उतरने वाला यह उपन्यास युवा वर्ग के पाठकों को ध्यान में रख कर लिखा गया है, जिसका भाषा और शिल्प भी उन्हें चमत्कृत करता है। यह पुस्तक मदनलाल कानोडिया एंड कंपनी, इलाहाबाद द्वारा वर्ष 1998 से प्रकाशित हुई है और साहित्य के रसिकों को वैज्ञानिक ढ़ंग से सोचने का नया नजरिया प्रदान करती है।