जाकिर अली 'रजनीश' के बाल उपन्यास

Zakir Ali Rajnish Ke Bal Upanyas
ज़ाकिर अली रजनीश के बाल उपन्यासों में वैज्ञानिक बाल उपन्यास 'समय के पार' एवं 'ह्यूमन ट्रांसमिशन' बेहद चर्चित रहे हैं। ये दोनों साइंस फैंटेसी पर आधारित बाल उपन्यास हैं। इनके अतिरिक्त डॉ. रजनीश ने 'सात सवाल' और 'हम होंगे कामयाब' नामक बाल उपन्यासों का भी सृजन किया है। साथ ही उन्होंने 'ग्यारह बाल उपन्यास' नामक पुस्तक का सम्पादन भी किया है।

Samay ki par Bal Upanyas
वैज्ञानिक बाल उपन्‍यास 'समय के पार' का सार संक्षेप

समय के पार’ जाकिर अली 'रजनीश' का एक वैज्ञानिक बाल उपन्‍यास है, जिसमें पर्यावरण की समस्या को रोचक ढ़ंग से प्रस्तुत किया गया है। कहानी के मुख्य पात्र प्रोफेसर हसन हैं, जो स्वयं द्वारा आवि​ष्कृत समययान के द्वारा अपने मुंहबोले भतीजे प्रकाश के साथ 25वीं सदी की यात्रा पर जाते हैं। लेकिन उस समय की उजाड़ और वीरान धरती को देखकर वे हतप्रभ रह जाते हैं। उस सदी के लोग धरती के भीतर चूहों की तरह घर बनाकर रहते हैं। प्रोफेसर हसन और प्रकाश को धरती के विनाश का जिम्मेदार मानते हुए उनपर मुकदमा चलाया जाता है और उन्हें मृत्युदण्ड की सजा सुनाई जाती है। पर वहां के व्यवस्थापक की पुत्री खुश्बू, जोकि प्रकाश की दोस्त बन जाती है, इन लोगों को माफ करने का निवेदन करती है। जिससे ये लोग वापस अपने समय में जाकर धरती की भावी दुर्दशा का बयान करें और लोगों को पर्यावरण रक्षा के लिए प्रेरित कर सकें। जज महोदय खुश्बू से इस विचार से सहमत हो जाते हैं और प्रोफेसर हसन तथा प्रकाश को माफ कर देते हैं। इस तरह प्रोफेसर हसन और प्रकाश की जान बचती है और वे धरती को बचाने का वादा करके वापस अपने 'समय' की ओर लौट पड़ते हैं।

‘समय के पार’ एक रोचक साइंस फैंटेसी है, जो बालसाहित्य जगत में चर्चित रही है। यह पुस्तक आठ विज्ञान कथाओं के साथ संयुक्‍त रूप से प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2000 में प्रकाशित हुई थी। यह हिन्दी साहित्य जगत की इकलौती पुस्तक है, जिसे बाल साहित्‍य के तीन सबसे बड़े पुरस्‍कारों (भारतेन्‍दु पुरस्‍कार, रतनशर्मा स्‍मृति बालसाहित्‍य पुरस्‍कार, और उत्तर प्रदेश हिन्‍दी संस्‍थान के सर्जना पुरस्‍कार) से पुरस्कृत हो चुकी है।

Human Transmission Bal Upanyas
वैज्ञानिक बाल उपन्‍यास 'ह्यूमन ट्रांसमिशन' का सार संक्षेप

'ह्यूमन ट्रांसमिशन' जाकिर अली 'रजनीश' का एक लघु वैज्ञानिक बाल उपन्यास है। यह उपन्यास 'ह्यूमन ट्रांसमिशन एवं अन्य विज्ञान कथाएं' पुस्तक में 9 विज्ञान कथाओं के साथ संग्रहीत है। यह पुस्तक आईसेक्ट पब्लिकेशन, भोपाल से वर्ष 2017 में प्रकाशित हुई है।

बाल उपन्यास ह्यूमन ट्रांसमिशन के नायक प्रोफेसर रामिश जमाल मनुष्य को विद्युत चुम्बकीय तरंगों में परिवर्तित करके एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने और फिर वहां पर मनुष्य रूप में प्राप्त करने के ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। उनके इस कार्य में सहयोगी के रूप में महक उनका साथ देती है, जोकि उनके बचपन के दोस्त विश्वनाथ की बेटी भी है।

प्रोफेसर रामिश अपने यंत्र का परीक्षण स्वयं पर करने का निर्णय लेते हैं। वे अपनी लैब नं0 एक से स्वयं को विद्युत चुम्बकीय तरंगों में बदलकर लैब नं0 दो तक की यात्रा करने की तैयारी करते हैं। प्रयोग प्रारम्भ होने के कुछ पल बाद ही लैब नं0 दो की लाइट चली जाती है। संयोग से तभी वहां पर एक टीवी चैनल की ओबी वैन आ जाती है और बात ही बात में उसके पत्रकार को प्रोफेसर रामिश के अनूठे प्रयोग की जानकारी मिल जाती है। टीवी चैनल का पत्रकार अपनी वैन के जेनरेटर से प्रोफेसर रामिश की प्रयोगशाला को इलेक्ट्रिक सप्लाई देता है। तभी लाइट आ जाती है और शॉर्ट शर्किट के कारण प्रयोगशाला की मशीन में आग लग जाती है। यह देखकर सभी लोग बेहद दुखी हो जाते हैं। 

प्रोफेसर रामिश तीस मिनट से ज्यादा समय तक तरंगों के रूप में ट्रांसमिशन मशीन में कैद रहते हैं, जिससे उनकी विचारधारा परिवर्तित हो जाती है। वे जैसे-तैसे मशीन से बाहर निकलने में कामयाब होते हैं। प्रोफेसर अपने बचपन के दिनों को याद करते हैं जब वे नाले के किनारे बनी झुग्गी में नारकीय जीवन जीने को अभिशप्त थे। प्रोफेसर स्वयं को धिक्कारते हैं कि वे स्वयं तो उस नरक से निकल कर वैज्ञानिक बन गये, पर वहां के रहने वाले शेष लोगों को पूरी तरह से भूल गये। अंततोगत्वा वे अधजली ट्रांसमिशन मशीन को पीछे छोड़ कर अपनी पुरानी दुनिया को संवारने का निश्चय करते हैं। प्रोफेसर के इस प्रोजेक्ट को कामयाब बनाने के लिए महक ही नहीं उसका पूरा परिवार साथ देने का निश्चय करता है और उनके साथ चल पड़ता है।
 
'ह्यूमन ट्रांसमिशन' उपन्यास उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ की द्वैमासिक पत्रिका 'बालवाणी' (मार्च-अप्रैल 2017 से नवम्बर-दिसम्बर 2018 तक) में धारावाहिक रूप में भी प्रकाशित हो चुका है।

Bal Upanyas 'Saat Sawal'
बाल उपन्यास 'सात सवाल' का सार संक्षेप 

'सात सवाल' लोककथा की परम्परा से निकला हुआ एक बाल उपन्यास है, जो उसे आज के परिवेश से जोड़ कर प्रस्तुत करता है। जाकिर अली 'रजनीश' का यह उपन्यास यमन देश के राजकुमार हातिम की वीरता और परोपकार की अनूठी कहानी है, जो खुरासान देश के शहजादे मुनीरशामी की मदद के रूप में घटित होती है। दरअसल मुनीरशामी शाहाबाद की रूपवती स्त्री हुस्नबानो से विवाह करना चाहता था। किन्तु उसने यह शर्त रखी थी कि जो उसके सात सवालों के जवाब देगा, वह उसी के साथ शादी करेगी। हुस्नबानो के द्वारा पूछे गये सातों सवाल इस प्रकार हैंः 

1. एक बार देखा है, दूसरी बार देखने की इच्छा है।
2. नेकी कर दरिया में डाल।
3. किसी के साथ बुराई न कर, अगर करेगा तो वैसा ही पाएगा।
4. सच बोलने वाला हमेशा खुश रहता है।
5. कोहनिदा पहाड़ का राज क्या है?
6. जनमुर्गी के अंडे के बराबर दूसरा मोती ला दे।
7. हम्मामबादगर्द का रहस्य क्या है।

किसी मनुष्य का  इन सवालों  की तह तक पहुँच पाना असम्भव सा था। किन्तु हातिम अपनी वीरता के बल पर इनके जवाब खोजने में सफल हो जाता है। और इस प्रकार हुस्नबानो और मुनीरशामी का विवाह हो जाता है। परोपकार और मानवीय मूल्यों से भरपूर यह हैरतअंगेज कहानी आज के परिवेश में एक दादाजी और उनके पोतों के माध्यम से प्रस्तुत की गयी है और पाठकों में नैतिकता की भावना का बीजारोपण करती है।

यह पुस्तक कुशी प्रकाशन, 50 चाहचंद, जीरो रोड, इलाहाबाद से वर्ष 1996 में प्रकाशित हुई है। उससे पूर्व यह बाल उपन्यास लखनऊ से निकलने वाले दैनिक समाचार पत्र 'स्वतंत्र भारत' में 16 जुलाई, 1995 से 01 अक्टूबर, 1995 के मध्य धारावाहिक रूप में भी प्रकाशित हो चुका है।

Bal Upanyas 'Ham Honge Kamyab'

बाल उपन्यास 'हम होंगे कामयाब' का सार संक्षेप

'हम होंगे कामयाब' जाकिर अली 'रजनीश' का बाल अधिकारों पर केंद्रित बाल उपन्यास है। इस उपन्यास का नायक अंजुम कक्षा 9 का विद्यार्थी है। एक दिन उसे उसके बचपन का दोस्त किशोर मिलता है, जो बहुत बुरी दशा में होता है। बाद में पता चलता है वह और उसके जैसे बहुत से लड़के सेठ लक्खूलाल के बंधुआ मजदूर हैं। वह उन लोगों से दिन भर हाड़तोड़ मेहनत करवाता है और बदले में उन्हें खाने के लिए सिर्फ दो रोटी देता है। अंजुम अपने दोस्त रवि को सारी बात बताता है और उन बच्चों को सेठ के चंगुल से मुक्त कराने का संकल्प लेता है। इस दुष्कर मुहिम में अंजुम को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यहां तक कि सेठ के लोग उसे कैद कर लेते हैं। लेकिन अंजुम अपने दृढ संकल्प के बल पर अपने निश्चय में सफल होता है और सभी बच्चों को लक्खूलाल के चंगुल से आजादी मिल जाती है। 

अंजुम को चित्रकारी का शौक है, लेकिन उसके अब्बू इसे समय की बर्बादी मानते हैं और हर समय उसे पढ़ाई पर ध्यान लगाने को कहते हैं। लेकिन इस मुहिम का असर उनपर भी पड़ता है और वे किशोर को मुक्त कराने की खुशी में उसे कलर बॉक्स इनाम में देते हुए कहते हैं कि बच्चों को उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार भी तो मिलना चाहिए। 

'हम होंगे कामयाब' बाल अधिकारों पर केंद्रित बाल उपन्यास है, जो 'बाल भारती' मा0 पत्रिका में (मई 1999 से जून 2000 तक) धारावाहिक रूप में प्रकाशित हो चुका है। पुस्तक रूप में इसका प्रकाशन वर्ष 2000 में विद्यार्थी प्रकाशन, मुरारीलाल ट्रस्‍ट पाठशाला बिल्डिंग, अमीनाबाद, लखनऊ-226018 द्वारा किया गया है।

11 Bal Upanyas

'ग्यारह बाल उपन्यास' (संपादित) का सार संक्षेप

'ग्यारह बाल उपन्यास' हिन्दी बाल उपन्यासों का एक प्रतिनिधि संकलन है, जिसमें आधुनिक समय के 11 महत्वपूर्ण लेखकों के उपन्यासों को संकलित किया गया है। यह पुस्तक दो खण्डों में प्रकाशित है। पहले खण्ड में 5 बाल उपन्यास तथा दूसरे खण्ड में 6 बाल उपन्यास संकलित हैं। दोनों खण्डों के लेखकों और उनके उपन्यासों का विवरण इस प्रकार हैः

प्रथम खण्ड

अंतू की आत्मकथा - डाॅ. श्रीप्रसाद
हम होंगे कामयाब - जाकिर अली ‘रजनीश‘
हांकू बाबा - रामनरेश उज्जवल
मिशन इम्पाॅसिबल - रमाशंकर
गांव की तस्वीर - मो0 साजिद खान

द्वितीय खण्ड

लाखों में एक - उषा यादव
सीपियाण्डेला की सैर - शोभनाथ लाल
पापा की खोज - साबिर हुसैन
एक था रमुआ - रोहिताश्व अस्थाना
पीली फाइल - संजीव जायसवाल ‘संजय’
बीनू का सपना - अखिलेश श्रीवास्तव ‘चमन’

पुस्तक के प्रथम खण्ड में संग्रहीत उपन्यास 'अंतू की आत्मकथा' एक सामाजिक बाल उपन्यास है, जिसमें गरीब परिवार में पैदा हुए बच्चे और उसकी त्रासदी का भावपूर्ण अंकन है। संग्रह का दूसरा उपन्यास 'हम होंगे कामयाब' बाल अधिकारों पर केंद्रित है। यह सेठ लक्खूलाल की कैद में काम करने वाले बंधुआ बच्चों को आजाद कराने की कहानी है। 'हांकू बाबा' एक हास्य उपन्यास है। इसके नायक हांकू बाबा को गप्प हांकने में महारत है। वे लोगों को हंसा कर अपने भीतर छिपे दर्द को दबाए रखते हैं। लेकिन अंत में कुछ ऐसा होता है कि वे गांव की इज्जत के लिए अपनी जान को भी दांव पर लगा देते हैं। संग्रह के अगला उपन्यास 'मिशन इम्पाॅसिबल' एक साहसिक कहानी है, जो आतंकवादियों से मुठभेड़ के बहाने आदिवासियों की परम्पराओं से भी परिचित कराती है। प्रथम खंड का अंतिम उपन्यास  'गांव की तस्वीर' विकास की दौड़ में पिसते और पीछे छूटते गांव के कटु यथार्थ को हमारे सामने लाती है और बदलाव की हृदयविदारक तस्वीर को प्रस्तुत करती है।

पुस्तक के द्वितीय खण्ड का पहला उपन्यास 'लाखों में एक' एक बुद्धिमान और बहादुर लड़की की दास्तान है, जो अपने कारनामों से अपने परिवार ही नहीं लोगों की सोच भी बदल देती है। 'सीपियाण्डेला की सैर' एक साइंस फैंटेसी है, जो अपनी अनूठी कहानी के द्वारा पाठकों को मंत्रमुग्ध करने में सक्षम है। 'पापा की खोज' दो साहसी बच्चों प्रदीप और सुदीप की कहानी है, जो जंगल में जड़ी बूटियां खोजने गये अपने पिता के खो जाने पर उन्हें खोजने का साहसिक कारनामा अंजाम देते हैं। संग्रह का तीसरा उपन्यास 'एक था रमुआ' एक घुमंतू परिवार के लड़के रामू की कहानी है, जो यूं तो भाख मांगने का काम करता है, लेकिन जब एक दिन उसका आत्मसम्मान जाग उठता है, तो उसी स्टेशन का स्टेशन मास्टर बन जाता है, जहां वह भीख मांगा करता था। 'पीली फाइल' एक जासूसी कहानी है, जो रोचकता और रोमांच से भरपूर है और पाठकों को अंत तक बांधे रखती है। इस खण्ड का अंतिम उपन्यास 'बीनू का सपना' पर्यावरण पर केंद्रित एक जानकारीपरक उपन्यास है और पाठकों को जागरूक करने के उद्देश्य से रचा गया है।

यह पुस्तक वर्षा प्रकाशन, 50, चाहचंद, जीरो रोड, इलाहाबाद से वर्ष 2006 में प्रकाशित हुई है।